सोशल मीडिया वरदान है या अभिशाप? क्या सोशल मीडिया आज के युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है? ऐसे ही कई प्रश्नों के जवाब जानने के लिए जीवाजी विश्विद्यालय के पत्रकारिता विभाग में तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में वर्तमान परिदृश्य में सोशल मीडिया का प्रभाव विषय पर अतिथियों ने अपने विचार रखे।
वीओ- समय के साथ बढ़ते सोशल मीडिया के प्रयोग ने इस बहस को भी तेज कर दिया है कि समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है। जिओसाइट्स के रूप में सन 1994 में पहली सोशल साइट का प्रयोग शुरू हुआ था जिसका उद्देध्य अपने विधारों को मित्रो तक पहुंचाना था। लेकिन आज इसके बढ़ते दुरुपयोग ओर फेक न्यूज़ ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया। कि कहीं समाज पर इसका गलत प्रभाव तो नही पढ़ रहा। विशेषज्ञों की माने तो सोशल मीडिया के बहुत से फायदे हैं लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के लोगो ने इसे बदनाम कर दिया है। वे अपनी मानसिक गन्दगी इस पर लाकर समाज को भृमित करते हैं। यह एक उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि इसका प्रयोग समाज की उन्नति के लिए करें या किसी गलत उद्देश्य की पूर्ति के लिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति संगीता शुक्ला ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में एसपी नवनीत भसीन उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र में मुम्बई से आये सेंट जेवियर कॉलेज के डॉक्टर अवकाश जाधव ओर सेंट एंड्रयूज़ कॉलेज से आईं डॉक्टर प्रीति ओझा ने अपने विचार रखे।