ग्वालियर पुलिस पर सब्जी वाले और पेंट का काम करने वाले नगर रक्षा समिति के सदस्यों को वर्दी पहना कर उगाही का आरोप लगा है. यह खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है। RTI में खुलासा होने के बाद अब अधिकारियों ने RI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सड़क पर एंट्री के नाम पर पुलिस की वसूली कई बार देखी और सुनी होगी लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है वह चौंकाने वाला है. क्योंकि इसमें पुलिस वाले नहीं बल्कि सब्जी और पेंटिंग का कारोबार करने वाले नगर रक्षा समिति के सदस्यों से ही यह वसूली करवाने का आरोप लगा है. इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी और वर्तमान में आ रही अरविंद दागी पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि 1 साल पहले उगाही की इस शिकायत के समय यातायात थाना के प्रभारी अरविंद दांगी ही थे. आइए अब आपको बताते हैं कि पूरा मामला कैसे और क्यों हुआ. ग्वालियर में यातायात थाना ने 1 साल पहले अरविंद दांगी थाना प्रभारी थे उस समय नगर रक्षा समिति के कुछ सदस्य इनके संपर्क में रहते थे जिनके नाम रिंकेश, सुरेंद्र , कमल और शिवम हैं. ये चारों लोग सब्जी बेचने और पुताई का काम करते थे. इसके साथ ही यह नगर रक्षा समिति के सदस्य भी हैं. पुलिस को यह शिकायत मिली थी कि थाना प्रभारी अरविंद दांगी इन लोगों से रात के समय उगाही का काम करते हैं उगाही में से इन्हें केवल मजदूरी मिलती थी बाकी पैसा ये टीआई को देते थे। एक दिन यातायात थाना पुलिस के पीछे यह सभी लोग साफ सफाई का काम कर रहे थे और वर्दी पहने हुए थे तभी पुलिस के आरआई देवेंद्र यादव वहां पहुंचे और उन्होंने इन सभी का पुलिस की वर्दी में फोटो खींच लिया. उन्होंने फटकार भी लगाई और इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों को भी की. इस मामले की जांच डीएसपी विजय भदौरिया ने की और उन्होंने प्राइवेट लोगों को वर्दी पहनाने की पुष्टि भी की है .एक साल तक जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई और इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
इस पूरे मामले का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने किया था.
आशीष चतुर्वेदी, आरटीआई एक्टिविस्ट
नियमानुसार पुलिस की वर्दी से मेल खाते हुए कपड़े पहनना भी जुर्म माना जाता है तो प्राइवेट लोगों को पुलिस के बैच, टोपी लगाकर वर्दी कैसे पहनाइ गई. जबकि फर्जीवाड़ा करीब एक साल से पुलिस अफसरों को भी पता था, फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। मामला सामने आने पर पुलिस अफसर नोटिस देकर जवाब मंगने की बात कह रहे हैं.